शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

सुमन

ये फूल हमें
मुस्कुराने की देते  अदा
घिरे रहते कांटों के बीच
मगर  खिलते रहते सदा
कभी जमी पर रौंदे जाते
कभी  दुल्हन  के जुड़े में  इतराते
कभी  प्रभु माथे शोभा  बड़ाते 
कभी शहिदों की चीता पर
गड़ते गौरव की कथा
मेरे अंगना सदा फूल बरसे
'मनु' मन सुमन-सुमन हो ज़ाये
फूलों  की अदाओ पर
मैं  इतराउ सदा
~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
०७/०२/२०१६
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...


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