रविवार, 25 सितंबर 2016

आजाद जीवन की मुस्कान

ये   मुस्कुराती  जिन्दगी  ।
और  चाहते    बेपनाह  है ॥

दिल      ज़िन्दादिल      है ।
दर्द के लिए समय कहाँ है ॥

जिन्दगी  यूँ ही गुजर जाती ।
धरती मेराघर छत आसमांहै॥

अब   कल की  किसे खबर ।
जीना कहाँ  मरना  कहाँ  हैं ॥

~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो....

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