यारो अभी-अभी एक ब्रेकिंग न्युज आई है !
बकरे की अम्मा ने यह कहते हुये ॥
जनहित याचिका लगाई है - लोगों की ।
खुशी में मेरे परिवार की बली दी जाती है ॥
अरे खुद को इन्सान कहने वालों ।
हम निरापद , मूक , अबला, कामधेनु पर ॥
ये कैसी इनसानियत दिखाई जाती है ।
खुद की खुशी में अपने परिवार के साथ ॥
मेरे परिवार की 'डल्ली' उड़ाई जाती है ।
इतना ही नहीं आदमी करे बुरा काम पर ॥
'उपमा' हमारे जनावर जाति की लगाकर ।
गालियाँ देकर हमारी खिल्ली उड़ाई जाती है ॥
रे-मानव तीस-मार-खाँ होंगा तू -अरे तू तो ।
अत्याचारी,अत्याचार सहने वाला अपराधी है ॥
सभ्यता का चोला ओड़ इनसानियत को दाग ।
लगाने वाला तू 'धर्मिष्ट' नहीं' तू अधर्मी है ॥
तेरी धर्मनिरपेक्षता, धर्मपरायणता, आस्था ।
सामाजिकता,राजनैतिकता शुद्ध नहीं भ्रष्ट है ॥
जब-जब ज्यादाती करोगे जलजला आयेगा ।
तेरे जहाँ की, शान-ए-शौकत को मिट्टी में ॥
मिला जायेगा और तू हाथ मलता रह जायेगा ।
खुद को इन्सान कहने वाले मानव सुधरो ।
मुझे आँखें दिखा रहे हो अब कान खोलकर ॥
सुन लो पृथ्वी पर तू तो कलंकित है ।
अरे,अपनी आँखें फाड-फाड़कर पढ़ लेना-ये ।
वाकिया स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में अंकित है ॥
बलि पर चड़े-
~~> बकरे की अबला अम्मा की व्यथा ॥।
पैरवीकर्ता -
~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक -१२/०९२०१६
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो...!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें