मंगलवार, 13 सितंबर 2016

अबला ,बकरे की अम्मा ~

यारो अभी-अभी  एक  ब्रेकिंग न्युज  आई  है !
बकरे     की    अम्मा   ने   यह   कहते    हुये ॥

जनहित     याचिका  लगाई   है - लोगों   की ।
खुशी   में   मेरे  परिवार की  बली दी  जाती है ॥

अरे     खुद    को     इन्सान    कहने    वालों ।
हम    निरापद ,  मूक ,  अबला, कामधेनु   पर ॥

ये    कैसी    इनसानियत   दिखाई   जाती  है ।
खुद    की   खुशी  में  अपने परिवार के  साथ ॥

मेरे    परिवार    की  'डल्ली'  उड़ाई  जाती  है ।
इतना   ही   नहीं   आदमी करे बुरा  काम  पर ॥

'उपमा'   हमारे   जनावर  जाति  की  लगाकर ।
गालियाँ देकर हमारी  खिल्ली उड़ाई जाती  है ॥

रे-मानव तीस-मार-खाँ होंगा तू -अरे तू   तो ।
अत्याचारी,अत्याचार सहने वाला अपराधी है ॥

सभ्यता का चोला ओड़ इनसानियत को दाग ।
लगाने वाला तू  'धर्मिष्ट' नहीं'  तू  अधर्मी  है ॥

तेरी   धर्मनिरपेक्षता,  धर्मपरायणता,   आस्था ।
सामाजिकता,राजनैतिकता  शुद्ध नहीं भ्रष्ट है ॥

जब-जब  ज्यादाती करोगे जलजला  आयेगा  ।
तेरे  जहाँ   की,  शान-ए-शौकत को  मिट्टी में ॥

मिला जायेगा  और तू हाथ मलता रह जायेगा ।
खुद को   इन्सान कहने  वाले  मानव  सुधरो ।

मुझे  आँखें  दिखा रहे हो  अब कान  खोलकर ॥
सुन   लो    पृथ्वी   पर  तू   तो  कलंकित   है  ।

अरे,अपनी आँखें फाड-फाड़कर  पढ़ लेना-ये  ।
वाकिया स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में अंकित है ॥

बलि पर चड़े-
      ~~> बकरे की अबला अम्मा की व्यथा ॥।

पैरवीकर्ता -
                ~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक -१२/०९२०१६
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो...!


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