मालीया ने "माल-लिया" और निकल लिया
बे मौसम बारिश ने किया सब कुछ छिन्न-भिन्न फसलें हुई चौपट किसानों का हुआ बंटाधार
अपनें भी जीवन में रंग ही नहीं जंग ही जंग है आय भी है कम एक कच्चा घर है जो बदरंग है
कूद-कूद कर वानर सेना ने अतंक मचा दिया और घर की कच्ची छत का कचूम्बर बना दिया
अब घर केअंदर हर तरफ पानी ही टपकता है मजबूरी है कमरे में छतरी तान रहना पड़ता है
एक दिन श्रीमती ने कहाऐसा कब तक चलेगा अजी कच्ची छत पक्की क्यों नहीं करवा लेते
अरे बैंक से लोन ले लेकर लोग "मालीया" हो गये काश...! तुम पक्के घर के मालिक ही बन जाते
पत्नी के दिये गये गणित को हमने हल किया और झट, सवाल हल पत्नी को आवाज लगाया
अरी सुनती हो तुम्हारी बैंकलोन की नसीहत सर- आँखों पर जो अपने लि बहुत ही कारगर है
हम बैंक जाकर लोन का आवेदन शिघ्र ही देते हैं कच्ची छत पक्की करने सपना पूरा कर ही लेते हैं
बैंक पहुँचते ही नोटिस बोर्ड पर नजर टकराई बोर्ड पर लिखा था अभी हम खुद कंगाल है भाई
'मालीया' ने 'माल' लिया और निकल लिया है सारे लाॅकर खाली करके हमें कंगाल बना दिया है
अब वापसी हेतु 'मालीया' से अनुनय कर रहे हैं पर उसने अनुनय-विनय को ठेगा दिखा दिया है
अपनी चालबाज़ी से जबरदस्त चूना लगा दिया है जालसाजी के जाल में हम बुरी तरह फंस गयें है
अब क्या करें क्या न करें कुछ सुझता ही नहीं 24घन्टे मालीया ही दिखता कोई काम होता नहीं
हाथों में हाथ धरे जब तक हम सड़क पर खड़े हैं तब तक सभी बैंक-लोन संबंधी सभी कार्य बंद पड़े है
प्रिय ग्राहकों सूचना पढ़कर आप निराश मत होना ग्राहकों का संतोष ही हमारा परम धन्य है
अधीर मत होना अपनी शान्ति को बनाये रखना शान्ति के साथ खाना और शान्ति के साथ ही सोना ॥
~~~>मनीष गौतम "मनु"
दिनांक-28/08/2016
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