गुरुवार, 17 मार्च 2016

जननी जन्म भूमि ..... ।

जो माँ को माँ न कहे उसको तो धिक्कार है ।
ऐसी सोच रखनेवाले दुर्जन नीच है मक्कार है॥
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प्रेम से बोलो !!*!! भरत माता की जय !!*!!
हंसते बोलो !!*!!भरत माता की जय !!*!!
गाके बोलो !!*!! भारत माता की जय !!*!!
आते बोलो!!*!!भारत माता की जय। !!*!!
जाते बोलो !!*!! भारत माता की जय !!*!!
सब मिल बोलो !!**!!भारत माता की जय !!**!!
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पुष्प  की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी
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चाह नहीं मैं सुरबाला के
.                गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में
.                बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
.                पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
.                चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
.                उस पथ पर देना तुम फेक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
.                जिस पथ जावें वीर अनेक।।
!!*!! भारत माता  की  जय !!*!!

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