शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

निंदिया रानी

इतनी जल्दी कहाँ नींद मुझे आती है !
मैं जागता रहता हूँ और रात सो जाती है !

सुबह  होते ही मैं फिर भटकने लगता हूँ !
ना दिन को चैन ना रात को सो सकता हूँ !
.                     और~
आपकी चाहत भी बार-बार ये कहते जाती है.!
रात बाकी है.........! अभी बात बाकी है .......! 

मैं चैतन्य हूँ ! मगर आपके लिए_
.                        ||शुभ रात्रि ||
.            ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

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