सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

कमेंट्स-

शोभनीय "शब्द-बाण"_
क्या..टंच माल है यार
__________________________________
हां  हां होता है होता है अकसर ऐसा भी होता है । खासकर अपने ही संबंधों के बीच ऐसा होता है । अब होता यह है । कि~ कुछ असामाजिक लोग आ-जा रहीं या पास खड़ी  नव-युवतीयों/महिलाओं को "अनायास"  ही 

अनावश्यक "शब्द-बाण"  जिसे 'टांट मारना' या 'छिटाकसी कसना' या 'चुटकियां  लेना' कहा जाता है । ऐसे बेतुके, भद्दे ,अशोभनीय "शब्द-बाण" महिलाओं पर "उछाल" देते हैं । ये  तो बाद में पता चलता है कि "वो" तो अपनी ही रिश्तेदार थी या बहन थी ।

"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत "  इसीलिए हमें दूसरों की मां बहनों के साथ । अपनी मां बहनों जैसा चलन और व्यवहार रखना चाहिए और ऐसे अमानवीय असामाजिक बुराइयों से हमें दूर ही नहीं वरन्  उन्हे समाज से दूर करने,भरसक प्रयास करना चाहिए ।
वर्ना कहा गया है कि-

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ।
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाय ॥
               आलेख✍ ~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

दिनांक 21/02/1/2016
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल'मंगलमयी हो..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें