अशोभनीय "शब्द-बाण"_
क्या..टंच माल है यार
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हां हां होता है होता है अकसर ऐसा भी होता है । खासकर अपने ही संबंधों के बीच ऐसा होता है । अब होता यह है । कि~ कुछ असामाजिक लोग आ-जा रहीं या पास खड़ी नव-युवतीयों/महिलाओं को "अनायास" ही
अनावश्यक "शब्द-बाण" जिसे 'टांट मारना' या 'छिटाकसी कसना' या 'चुटकियां लेना' कहा जाता है । ऐसे बेतुके, भद्दे ,अशोभनीय "शब्द-बाण" महिलाओं पर "उछाल" देते हैं । ये तो बाद में पता चलता है कि "वो" तो अपनी ही रिश्तेदार थी या बहन थी ।
"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत " इसीलिए हमें दूसरों की मां बहनों के साथ । अपनी मां बहनों जैसा चलन और व्यवहार रखना चाहिए और ऐसे अमानवीय असामाजिक बुराइयों से हमें दूर ही नहीं वरन् उन्हे समाज से दूर करने,भरसक प्रयास करना चाहिए ।
वर्ना कहा गया है कि-
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ।
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाय ॥
आलेख✍ ~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 21/02/1/2016
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल'मंगलमयी हो..
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