'शोभा' सभा में है ...
या सभा में है शोभा ...
सूरज की आभा में शोभा...
झर-झर झरते झरनों में शोभा...
बगीयन के हर कलियन में शोभा ...
प्रकृति की हर छटा में शोभा ...
वीर जवाने के शौर्य में शोभा...
देश के लहराते तीरंगे में शोभा...
मजदूरों की कड़ी मेहनत में शोभा...
लहराती-बलखाती फसलों में शोभा...
हर पल-क्षण जब दिल में होती शोभा...
बड़ जाती है अंतर्मन में शोभा...
शोभा से सुशोभित हो जाता जब अंतर्मन...
तब बढ़ जाती है मेरे तन-मन की 'शोभा'...
शोभा बिना सब कुछ लगे अशोभा...
शोभा बिना सब कुछ लगे आशोभा...
~~~~> मनीष कुमार गौतम " मनु"
11/02/2016
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो..
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