सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

मुस्कुराइये-

लों..? हरामजादा...कमिना...कुत्ता, फिर आ गया..?
अरी......सुन......ढब्बू की महतारी..!!

मेरी कविता सुन कर तुम्हें कैसा लगा...

नेता जी ने अपनी श्रीमती से पुछा...
श्रीमती जी ने उत्तर दिया-

जी, "चार बार" आप आये हैं कविता
की पंक्तियो में ! एक बार मैं .......!

------->> मनीष कुमार गौतम "मनु"

सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो....

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