रविवार, 28 फ़रवरी 2016

आस और प्यास-

टी.-20 में कल भारत , पाक पर विजयी
लेकिन----
नव खेल अभी बाकी है/अभिनव जीत अभी बाकी है ।अंजाम अभी बाक़ी है ।  काम होना बाकी है काम-तमाम होना बाकी है । आस अभी बाकी है प्यास अभी बाकी है ........
आतंकवाद-आरक्षण पर । बलात्कार-भ्रूण हत्या पर भूखमरी-गरीबी पर । अशिक्षा-शिक्षित बेरोजगारी पर । भ्रष्टाचार- कालाधन - काला बाजारी पर किसानों की बेबसी पर अवसरवादी राजनीति पर संस्कृति - संस्कार के पतन पर..नव खेल अभी बाकी है /अभिनव जीत अभी बाकी है ॥ जै  हो जै हो जै हो ॥
~~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक - 28/02/2016
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी  हो...

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

मक्कार गरीब-

इस जहाँ में भला कौन गरीब हैं । यक़ीनन कोई नहीं । अपितु  रात-दिन मेहनत करने की बजाय आलसी  और "मक्कारीपन" करने से गरीबी आती है । बच्चे पैदा करना जायज़ समझा जाता है । लेकिन  मेहनत करके खाना  शायद उनके हद के बाहर हो जाता है । ऐसे मक्कार गरीब सड़कों मंदिरों, गली कूचों, चौराहे, यहाँ - वहाँ, कटोरा लिए  अपने मासूम  बच्चों के साथ  रोटी के लिए हाथ फैलाये देखे जा सकते  हैं । बच्चे युवा अवस्था  तक यही करते रहे  तो समझें एक और  मक्कार गरीब का जन्म हो गया ।
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमय हो...

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

आइए राष्ट्र हित में हम अपना योगदान दें

हमारे लिए  राष्ट्रवाद महत्वपूर्ण मूल्य---
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह के अपराध को कानून की किताब से मिटा नहीं डालना चाहिए । बाहें फैलाने के मेरे अधिकार के कारण मुझे किसी चेहरे पर प्रहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती । सारी स्वतंत्रताओ कि अपनी सीमा है और कोई स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है । यह कोई तानाशाही विचार नहीं है ; यह  लोकतंत्र का मूल तत्व है । एक ऐसे देश में जहा सशस्त्र बल देश की रक्षा,सुरक्षा की खातिर और इसकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए रोज बलिदान दे रहे हो, देश के लोगों में राष्ट्रवाद सर्वाधिक महत्व का मूल्य है । यदि स्वतंत्रता के नाम पर देशवासी ऐसे काम करें जो देश के लिए शर्मनाक  हो और देश के बाहर हमारे शत्रुओं को प्रोत्साहित करते हो तो हमारे सैनिकों से अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह सियाचिन की खून जमने वाली कगारों पर सर्वोच्च बलिदान दे । इसलिए आइए शांति और समझदारी को बहाल करने में मदद करें, पुलिस को उनका काम करने दें,न्यायपालिका को तय करने दे कि देशद्रोह का आरोपी सही या गलत और राजनेता, राजनैतिक दल और मीडिया से गुजारिश है कि वह आग में अपनी रोटी न सेकें ।।हमारे प्रिय देश से बढ़कर किसी भी बात का कोई अर्थ नहीं है  ॥जय हिन्द ॥                     साभार ~~~~~> दैनिक भास्कर समा. पत्र           दिनांक - 23/02/2016                                    शुभ संध्या मित्रों-

आने वाला 'पल' और 'कल'  मंगलमयी हो...

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

कमेंट्स-

शोभनीय "शब्द-बाण"_
क्या..टंच माल है यार
__________________________________
हां  हां होता है होता है अकसर ऐसा भी होता है । खासकर अपने ही संबंधों के बीच ऐसा होता है । अब होता यह है । कि~ कुछ असामाजिक लोग आ-जा रहीं या पास खड़ी  नव-युवतीयों/महिलाओं को "अनायास"  ही 

अनावश्यक "शब्द-बाण"  जिसे 'टांट मारना' या 'छिटाकसी कसना' या 'चुटकियां  लेना' कहा जाता है । ऐसे बेतुके, भद्दे ,अशोभनीय "शब्द-बाण" महिलाओं पर "उछाल" देते हैं । ये  तो बाद में पता चलता है कि "वो" तो अपनी ही रिश्तेदार थी या बहन थी ।

"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत "  इसीलिए हमें दूसरों की मां बहनों के साथ । अपनी मां बहनों जैसा चलन और व्यवहार रखना चाहिए और ऐसे अमानवीय असामाजिक बुराइयों से हमें दूर ही नहीं वरन्  उन्हे समाज से दूर करने,भरसक प्रयास करना चाहिए ।
वर्ना कहा गया है कि-

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ।
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाय ॥
               आलेख✍ ~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

दिनांक 21/02/1/2016
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल'मंगलमयी हो..

शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

नमामि गंगे-

              हे नमामि गंगे  तुम सदैव बहते रहना...                                                        सब के मन को मोहित करते रहना  ....

राग, द्वेष, मदलोभ में  लिप्त मेरे मन को  

हर कर सुन्दर,सरल,सद्गुणी कर देना 

                  हे नमामि गंगे तुम सदैव बहते रहना .....

 सभी  क्रूर ,दयाहीन निर्मम मन मे 

पवित्र स्नेह का श़ीतलजल भर देना 

                   हे नमामि गंगे तुम सदैव बहते रहना .....

दीन-दुखी,अधीर,अनाथों के मन 

धीरजता का बहाव बनाए रखना 

                  हे नमामि गंगे तुम सदैव बहते रहना ......

अभ्यारण्य,उजड़ी मरूभूमि को 

 सींच-सींच  हरी -भरी कर देन

                  हे नमामि गंगे  तुम सदैव बहते रहना......

                    सबके मन को मोहित करतें रहना ........॥
                ~~~~~> मनीष गौतम  "मनु"
दिनांक 20/02/2016

वंदना-

साईं  इतना  दीजिए जा मे कुटुंब   समाय  ।
मैं भी भूखा ना रहूं साधु भी भूखा ना जाए  ॥

_/\_जय जय श्री हरि*जय जय श्री राम_/\_
___________________जय जय मानव धर्म
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल' मंगलमयी हो...

आतंकवाद और आरक्षण

हे ...विधाता... हे ....विभूति ...
भारत. मां के सर अब

ये कैसी आफत आकर फूटी
आतंकवाद का कहर यहाँ

पहले से ही बिफरा पड़ा है
अब आरक्षण का तांडव भी

शैने शैने आतंकवाद
की राह पकड़ रहा है

दोनों के मकसद है अलग-अलग
मगर रणनीति दिखती एक सी

आतंकवादी गोली से करते सीना छलनी
तो दूजे खेल रहे खूनी शोलों की होली

आरक्षण का दर्द अब
सुई से तलवार हो गया है !

मुझे तो लगता है आरक्षण अब
आतंकवाद का "पर्याय" हो गया है ?

आरक्षण की हो रही हरकतो को देख
आतंकवाद भी फूला नहीं समाता होगा ?

आरक्षण से "आतंकवाद" जैसा
मातम छा ही रहा है ?

यह देख-देख आतंकवाद
खुशीयों के गीत गाता होंगा ?

अब देश का दुर्भाग्य ही कहें की
इन्हें दुरुस्त करने वाला

कोई "जाॅबाज" "होनहार" नहीं
मरते हो तो मर जाएं सब !

आतंकवाद और आरक्षण का
"काम तमाम" करने वाला

देश में अब कोई "ठेकेदार" नहीं ॥

~~~~~~>>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक - 20/02/2016

शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

हाथ कंगन को आरसी क्या

जो  "झुकते"  है ।वो कभी गिरते नहीं ।जो झुकते नहीं  वो कभी टिकते नहीं । "धराशायी" हो जाते हैं ...!
फंडा की- नम्रता और सद्व्यवहार  शत्रु को परास्त कर देनेवाले कारगर "शस्त्र" हैं ..।
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो....

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

तोसे लागी लगन-

हे.....! मेरे प्यारे मोहन… सब के मन को करे मगन ....हे मेरे प्यारे मनमोहन .......

तोसे लागी लगन , मन कहीं हो न मगन
पनघट पे चलो श्याम आज पनिया भरन

कभी फोड़ी मटकी, कभी करो ठिठौली
अब बस भी करो , हे मेरे प्यारे मनमोहन

ये मुझे रास न आये ,तेरा चुपके से मिलन
पनघट पे चलो श्याम आज पनिया भरन

हे कृष्णा ! तोसे मिलन की,मेरी मृगतृष्णा
कब होगी दुर बताओ , मेरे मन की तृष्णा

हे कृष्ण !.मेरे मन की मिटा दो सारी तृष्णा
मेरे प्यारे मोहन और न सताओ मनमोहन

पनघट पे चलो श्याम आज पनिया भरन .
!!!**!!!वृंदावन बिहारी लाल की जय!!!*!!!

~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ संध्या मित्रों_
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो....

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

कीमत-

रुपया-पैसा जीवन के लिए बहुत कुछ होता है । पर सबकुछ नहीं ______!!  सबकुछ तो वह अदृश्य शक्ति है । जिसके इशारे से हम इस धरती रुपी रंगमंच पर अपना-अपना रोल अदा कर रहें हैं  ।।
_/\_जय जय श्री हरि !!*!!जय जय श्री राम_/\_
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो.....

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

संदेश-

जीवन का हर कदम,
पग-पग पर खतरनाक है ।
संभल कर चलोगे तो जिंदगी का साथ है ।
खूबसूरती के साथ जिंदगी गुजारने की चाबी, कहीं और नहीं  बस आप ही के हाथ है ..........

सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो.....

आत्मिक प्रेम-

मेरी जिन्दगी की किताब में,

"" हे   कृष्णा""

हर पाठ तुम्हारा है

कहानी मेरी है श्याम

पर हर पन्ने पर नाम तुम्हारा है- हे कृष्णा,जय जय श्री कृष्णा ! हे कृष्णा, जय जय श्री कृष्णा  जय जय श्री हरी जय जय श्री राधे राधे...
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी  हो....

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

गुदगुदी-

आपको नींद से उठाने के लिए ... इतना भी नहीं सोना मित्रों ....। जल्दी से जागीये....। अभी लम्बा सफर तय करना हैं  ॥

सुप्रभात  मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो.

बाल मन-

क्या हंसना मना है ?
क्या हंसना गुनाह है ?
हम तो हर पल  हरफनमौला !
हम न जाने क्या जीना है क्या मरना है !!
"किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार जीना इसी का नाम है........!"
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल' मंगलमयी  हो ..!!

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

मुफ्त में ज्ञान-

मैंने खोली थी एक जनसेवा की दुकान इसमें कुछ  बिकता नहीं था बल्की मिलता था । सुंदर जीवन जीने के लिए मुफ्त में ज्ञान । मैने खोली थी एक जनसेवा की दुकान ......

भाईयों महीनों  बीत गए दुकान पर एक बंदा भी न आया, यह सोच कर मेरा दिल बिल्कुल भी नहीं घबराया । मैंने धैर्य रखा । रफ्ता-रफ्ता सोचा और सोचा की बदलना होगा अपना विधि और विधान । मैंने खोली थी एक जनसेवा की दुकान..........

एक तख्ती लगाया दुकान की मुंडेरी पर । कुछ होल्डिंग लगाया चौराहों पर ।उसमें  लिखवाया था । मिलेगा पाँच रुपये में ज्ञान । गर दोंगे  तुम सहसम्मान । विज्ञापन का हुआ इस कदर असर की चल पड़ी मेरी ज्ञान की अभिमान की  दुकान और रातो रात झोपड़ी से बन गया मेरा पाँच मंजिलों का मकान  । मैंने खोली थी एक जन सेवा की दुकान......

मगर मैं पाँच मंजिला मकान पा कर खुश नहीं था । सोचा दुनिया में ऐसा भी  होता है । क्या मुफ्त में कुछ भी लेना और देना लोगों की शान के खिलाफत  होता है ? शायद तभी तो कुछ मौकापरस्त लोगों की बाहें खिल रही है । इन अवसर वादियों की ज्ञान की दुकानें कुकुरमुत्ता की तरह अब खुल रही है ।

ये पैसों के बदले ज्ञान बेच रहे है ।मोटी मोटी रकम ऐठ रहे हैं । फिर भी गरीब हो या अमीर इस दुकान के ग्राहक बनना अब ज्यादा पसंद कर रहे हैं  और अपने बच्चों को इस ज्ञान की दुकान में ज्ञान दिलाना अब अपनी शान समझ रहे  हैं  ।

सोचता हूँ लोगों की सोच में क्या ये  एक नई  बुराई आई है ।वो सोचते हैं कि पडोसी के  देशी माल में मिलावट है । खोट है । मुफ्त में लेना देना उनके आन-बान शान पर अब चोट है इसीलिए  अब बाजार में जो बिकता है उसे ही खरीदो वही सही है । उसी में  सच्चाई है । दान और मुफ्त की चिजों में नहीं कोई मलाई है ।

मै सोच रहा हूँ । यदि  लोगो की यही सोच रही तो आगे क्या होंगा । अरे  मुफ्त में ज्ञान बाचने और दान बांटने वालो सुन लो । तुम्हारी तो फिर पीर पराई है ।अपनी आदतें सुधार लो । कुछ नवाचार कर लो । इसी में अब  भलाई है । वर्ना आगे तुम्हारी शामत आई है .....!! वर्ना आगे तुम्हारी शामत आई है ....!!!
~~~~~~~> मनीष कुमार गौतम 'मनु'

शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल और 'कल' मंगलमयी हो....

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

प्यार किसे कहते हैं

(मित्रों कृपया इसे पूरा पढ़ीयेगा)
कलयुग  में प्यार के बदल गए मायने
खो गया सब शिष्टाचार
धूमिल हूई सारी सद्भावनाऐं
हो गये सब रिश्ते लंगड़े लूले
सुना रहे हम प्यार के अफ्साने ॥
प्यार... इस कलयुग का दुर्भाग्य.....?
प्यार - प्यार - प्यार आखिर प्यार है क्या ? प्यार किसी रिश्ते जैसे माता-पिता/भाई-बहन /पति-पत्नी/सभी प्रकार के नाते-रिश्ते और इस कलयुग में "प्रेमी जोड़ों" का मुख्य रिश्ता "प्रेम" ।

प्यार इन सभी रिश्तों के लिए | उमड़ने वाली "चाहत" की एक कशिश या अधिरता या ऐसी व्याकुलता हैजो दिलोदिमाग में प्यार को व्यक्त करने के लिए खलबली मचा देता है ।
यह खलबली ही "संवेदना या भावना हैं |" जिसे हम 'प्यार' कहते है ।
उक्त 'संवेदना/भावना' को रिश्तों के बिच - भिन्न-भिन्न प्रकार से रिश्ते के अनुसार व्यक्त किया जाता है ।
जैसें-चरण स्पर्श कर /सर झुकाकर /सम्मान पूर्वक बोल कर या मंदमंद मुस्कुराकर / स्पर्श कर/गले लगाकर या गले से लगा कर/ बाँहों में भर कर / लिपटकर या लिपटाकर / आँखों में आँखे डालकर / सहला कर / पुचकार कर/ चूमकर / सज सँवर कर / व्यवहार कर / नाच कर या गा कर / ललचाकर / इतराकर /मटक कर /खुशीयों  के या गम के आँसू टपका कर/राम-रामई ले कर या नमन कर/शुक्रिया अदा कर / मिठी-मिठी बातें कर आदि आदि संवेदना या भावनाओं के द्वारा हम प्यार को व्यक्त करते हैं |
प्यार के प्रकारों में -
चूमना/ पुचकारना /सहलाना/ मिठी- मिठी बातें करना / लिपटना/ लिपटाना/ इतराना/मटकना/ सजना/सँवरना / बाँहों में भरना /बाँहों में समा जाना/ गले लगना/ गले लगाना/आंहें भरना आदि आदि !
ये प्यार के बनावटी "रुप" हो गये हैं ।जो आज प्रेमी -जोड़ों के बिच ज्यादा थिरकता है मचलता है ! मगर टूट कर जल्द ही बिखर भी जाता है ।

दिखावटी और बनावटी प्यार के  "रुप" ने सभी रिश्ते-नातों के बीच भी दुरियाँ और दरारें बड़ा दी हैं ! इसीलिये प्यार इस कलयुग का दुर्भाग्य है  । क्या मैने सच कहा ?
आलेख ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और कल'मंगलमय हो...

मंथन-

(मित्रों कृपया  इसे पूरा पढ़ीयेगा)
प्यार... इस कलयु का दुर्भाग्य.....?

प्यार - प्यार - प्यार आखिर प्यार है क्या.?
प्यार किसी रिश्ते जैसे -
माता-पिता / भाई-बहन / पति- पत्नी / सभी प्रकार के नातेदार-रिश्तेदार और इस कलयुग में "प्रेमी जोड़ों" का सबसे प्रमुख रिश्ता "प्रेम |"

प्यार इन सभी रिश्तों के लिए | उमड़ने वाली "चाहत" की एक कशिश या अधिरता या ऐसी  व्याकुलता  है जो दिलोदिमाग  में प्यार को व्यक्त करने के लिए  खलबली मचा देता  है । यह खलबली  ही  "संवेदना या भावना हैं |" जिसे  हम 'प्यार' कहते  है ।

उक्त  'संवेदना/भावना' को रिश्तों के  बिच - भिन्न-भिन्न प्रकार से  रिश्ते के अनुसार  व्यक्त किया जाता है ।जैसें-

चरण स्पर्श कर /सर झुकाकर /सम्मान पूर्वक बोल कर या मंदमंद मुस्कुराकर / स्पर्श कर/गले  लगाकर या गले से लगा कर/  बाँहों में भर कर / लिपटकर या लिपटाकर / आँखों में आँखे डालकर / सहला कर / पुचकार कर/ चूमकर / सज सँवर कर / व्यवहार कर / नाच कर या  गा कर / ललचाकर / इतराकर /मटक कर /खुशी या गम के आँसू टपका कर/राम-रामई ले कर या शुक्रिया अदा कर / मिठी-मिठी बातें कर   आदि आदि संवेदना या भावनाओं  के  द्वारा हम प्यार को व्यक्त करते हैं  |

प्यार के प्रकारों में --
चूमना/ पुचकारना /सहलाना/ मिठी- मिठी बातें करना / लिपटना/ लिपटाना/ इतराना/मटकना/ सजना/सँवरना / बाँहों में भरना /बाँहों में समा जाना/ गले लगना/ गले लगाना/आंहें भरना आदि आदि ! ये प्यार के बनावटी  "रुप" हो गये हैं ।जो  आज प्रेमी -जोड़ों के बिच ज्यादा थिरकता है मचलता है ! मगर टूट कर जल्द ही बिखर भी जाता है ।
दिखावटी  और बनावटी "रुप" ने सभी रिश्ते-नातों के बीच भी दुरियाँ और दरारें  बड़ा दी हैं ! इसीलिये  प्यार  इस कलयुग का  दुर्भाग्यक्या मैने सच कहा ?
आले   ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
सुप्रभात मित्रों-
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो...

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

चरण वंदना-

पवन तनय संकट हरण,मंगल मूरति रूप !
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप॥


लाल देह लाली लसे, अरूधर लाल लंगुर ।
ब्रज देह दानव दलन , जय जय कपीसुर।।

_________ जय जय जय बजरंग बली।
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो...

चिंतन -सरकारी स्कूल होगें बंद ?


90 फीसदी स्कूलों को बंद करने के फैसले पर डेवलपमेंट फाउंडेशन की बैठक ।

प्रदेश सरकार ने 90 फीसदी सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है इस मुद्दे पर मंगलवार को डेवलपमेंट फाउंडेशन की बैठक हुई. इसमें शिक्षाविद, प्रबुद्धजन और अभ्यास मंडल के पदाधिकारियों ने फैसले पर चिंता जाहित की. पूर्व कुलपति ने कहा है कि सरकारी स्कूलों को बंद करना गंभीत विषय है. सरकारी स्कूल तमाम कठिनाइयों के बाद भी गरीबो की शिक्षा का जरिया है. नागरिको को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की ज़रुरत है. हमें देखना होगा कि इसके पीछे सरकार का कोई छिपा एजेंडा तो नहीं.

जन आंदोलन की ज़रुर
ट्रेड यूनियन ने कहा है कि जन आंदोलन चलाने की ज़रुरत है. मूल विषय सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने का होना चाहिए, न कि उन्हें बंद करने का. सरकारी स्कूलों के सामने कई कठिनाइया है, जिस कारण बच्चो की संख्या कम है. बच्चो की स्कूल में संख्या बढ़ाने पर सरकार को ज़ोर देना चाहिए ।

साथियों असली निर्णय क्या होगा ये भविष्य के गर्भ में है किन्तु समाचार सुनकर वर्तमान में शिक्षक वर्ग की नींद उड़ गई है ।

शुभ संध्या मित्रों
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

!*!वीर सैनिक को अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धाँजलि!*!
हे वीर ,
तुम नही  रहे मगर तुम्हारा और तुम जैसे
वीर  बलिदानी  सैनिकों का  नाम उनके
शौर्य और पराक्रमकी गाथाओं का बखान
~*~ इस जहाँन में अजर-अमर रहेगा ~*~
जय जय वीर बहादुर तुम्हें  अश्रुपूर्ण   नमन ॥

शोभा-

'शोभा' सभा में है ...
या सभा में है शोभा ...

सूरज की आभा में शोभा...
झर-झर झरते झरनों में शोभा...

बगीयन के हर कलियन में शोभा ... 
प्रकृति   की  हर    छटा  में  शोभा ...

वीर जवाने के शौर्य में शोभा...
देश के लहराते तीरंगे में शोभा...

मजदूरों की कड़ी  मेहनत में शोभा...
लहराती-बलखाती फसलों में  शोभा...

हर पल-क्षण  जब दिल में होती शोभा... 
बड़    जाती    है   अंतर्मन  में  शोभा... 

शोभा से सुशोभित हो जाता जब अंतर्मन...
तब बढ़  जाती  है मेरे तन-मन की 'शोभा'...

शोभा     बिना     सब   कुछ    लगे  अशोभा...
शोभा     बिना     सब   कुछ    लगे  आशोभा...
          
   ~~~~> मनीष कुमार गौतम " मनु"
11/02/2016
सुप्रभात  मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो..

बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

समझदारी-

किसी विषम परिस्थिति से  निपटने  हमें जल्दबाजी नहीं ।बल्कि थोड़ा रूक कर । गंभीरता से सोचसमझ कर । परिस्थितिं से  निपटनें, आगे कदम बड़ाना चाहिए ।
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो..

स्वास्थ्य-

आज मेरी शाला में मनाया गया कृमि दिवस
सब पढ़े सब बढ़े सब रहे सुखी और स्वस्थ
शुभ संध्या मित्रों 
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमय हो..

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

आराधना-

जय जय श्री कृष्णा मन की मिटा दे सारीतृष्णा

सुप्रभात मित्रों-

आने वाला 'पल'और 'कल' मंगलमयी हो..

जैसी करनी वैसा फल-

दो दो बेटों के बाद भी मां वृद्धा आश्रम में ?
जैसा बोओगे वैसा काटोगे !

शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो...

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

भ्रूण हत्या-

समाज में अब वो ममता नही
बेटी संवारने अब क्षमता नहीं
मूरख बैठे हैं जिस डाल पर
उसी डाली  को  काट रहे हैं
गर्भ में पल रही नन्हीं सी जाँ को
अपनें ही हाथों मार रहें हैं.....!!

जगत-जननी रिश्तों की सेतु
शुभ लक्ष्मी सौभाग्य लक्ष्मी
कोमलांगी कोमल कली को
निर्मोही नोंच रहे उखाड़ रहे हैं

ये क्रुर जन भ्रूणीय हत्यारों
तुम कौन सा तीर चला लोगें 
अरे तुम तो बेटे की आश में
बेटा पैदा करके  उसे
बिना ब्याहे  रंडवा/ किन्नर
जैसा ही   बना  डालोगे

बेटीयां धरती जैसी होती हैं
सब  को नव जीवन देतीं  हैं
मरती हैं पर मिटती नही कभी
ये तो अपना अंश/ वंशज दे कर
परिवार आगे बड़ा भव तर जाती हैं

बेटी है तो हम सबका कल है
बिन बेटी सारा जग बेकल है
ये  धरती कहे पुकार के.....
ये आसमा कहे पुकार के.......
प्रकृति का विध्वंस न करो
भ्रूण  हत्या अब बंद करो
     ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
.                      07/02/2016
शुभ संध्या मित्रों
आने वाला "पल"और "कल" मंगलमयी हो ..

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

सुमन दिवस_

ये फूल

 मुस्कुराने की देते हमें अदा
घिरे रहते कांटों के बीच
मगर खिलते रहते सदा
कभी जमी पर रौंदे जाते
कभी दुल्हन के जुड़े में इतराते
कभी प्रभु माथे शोभा बड़ाते 
कभी शहिदों की चीता पर
गड़ते  गौरव की कथा
मेरे अंगना सदा फूल बरसे
"मनु" मन सुमन सुमन हो ज़ाये
और फलों की अदाओ पर
मैं  इतराऊँ सदा
~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
७/०२/२०१६

शुभ संध्या मित्रों 

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो......

  अभिव्यक्ति की आजादीीीी _
 
अभिव्यक्ति / व्यवहार  की  ज्यादाती पर  "कानुन" सजा दे अथवा न  दें पर प्रकृती और  जिन्दगी  का  "बकसना" मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. !
अत: अभिव्यक्ति की मिली आजादी में शिष्टाचार आवश्यक है !!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो....

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

निंदिया रानी

इतनी जल्दी कहाँ नींद मुझे आती है !
मैं जागता रहता हूँ और रात सो जाती है !

सुबह  होते ही मैं फिर भटकने लगता हूँ !
ना दिन को चैन ना रात को सो सकता हूँ !
.                     और~
आपकी चाहत भी बार-बार ये कहते जाती है.!
रात बाकी है.........! अभी बात बाकी है .......! 

मैं चैतन्य हूँ ! मगर आपके लिए_
.                        ||शुभ रात्रि ||
.            ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

अहम_

हम कहते हैं_"जान थी वो मेरी" !

और जान तो एक दिन चली ही जाती है ! फिर क्या तेरा क्या मेरा ! सब "धरा" पर "धरा" रह जायेगा ! रे "मनु" तू सब संग जी  भर  कर जी ले  हर दिन आता  है इक नया सवेरा....सुप्रभात मित्रों_

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो...

घड़ी में कांटे_

समय कई जख्म देता है इसीलिए शायद फूलों की जगह घड़ी में कांटे होते हैं | मगर सच्चाई यह है कि समय के साथ चले बिना हमारा जीवन अधूरा है क्योंकि समय ही बलवान है ! गुलाब के पौधे की तरह , काटों के बीच खीले फूलों को हम खोजना सीखें और समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें | तो जीवन सफर होंगा सुहाना !
शुभ संध्या मित्रवर
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

~ *मेरी प्राण* ~

तुम मेरी ~

"प्रिया" हो या "प्रिती" हो ...
"प्रेरणा" हो या "प्रेरक" हो...

"प्रदर्शनी" हो या "प्रियदर्शनीय" हो.

"प्रदीपन" हो या "प्रदीप्ति" हो...

"प्रतिद्वन्दी" हो या "प्रतिरक्षा" हो..

"प्रशंसा" हो या "प्रेरणा" हो...

"प्रदर्शन" हो या "प्रदर्शक " हो ..

"प्रश्नोत्तरी" हो या प्रश्नमाला " हो..

"प्रयोजन" हो या "प्रलयंकर" हो...
"प्रतिज्ञा हो या "प्रवेक्षा" हो...

"प्रमुख" हो या "प्रतिलिपि" हो...
"प्रतिक्षा हो या "प्रत्यक्ष" हो...

"प्रलोभन" हो या "प्रगति" हो...
या कई-कई प्रसंगों की प्रकार हो |

अब तुम मुझे

जो चाहो तुम ही समझो / पर मैं तुम्हें जो

चाहूँ तुम भी समझो -

मेरे "प्रेम" का "प्रसिद्ध-प्रमाण" हो
तुम मेरे "प्रमोद" की "प्रसाद" हो,

आन-बान-शान की प्रतिष्ठा हो तुम-
मेरी "प्राणाधार-प्राण-प्यारी "

मेरी "प्राण" हो ...मेरी "प्राण" हो ...
मेरी "प्राण" हो...मेरी "प्राण" हो...

पैदा होने से पहले बेटीयाँ मारते जाओगे.?
बेटा जवाँ होगा तब बहु कहाँ से लाओगे..?
" बेटी है तो कल है "
.
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
मंगल / दि-24/06/2014

शुभ संध्या मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो....