शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

बच्चे

बच्चे बड़े  नटखट होते  बड़े जिद्दी  होतें
पर मन के सच्चे होते देश के भविष्य होते
अपनी तोतली भाषा से सबके मन को हरते
आंसू बहाकर अपनी सारी जिद्द पुरी करते
खुले आसमान में आजाद पंछियों की तरह
रात-दिन इधर-उधर उछल कदंमी करते
भूख-प्यास से बेसुध अपने में मगन  रहते
ये कोमल मन आधारहीन दिशाहीन होते
इन्हें मार्गदर्शन और अच्छी पढ़ाई मिले तो
आसमान छुने की काबिलियत भी रखते
अपनी संस्कृति-सभ्यताओं से परिचित कर 
इन्हें  पाश्चात सभ्यता से भी  हमें बचाना है
ये बड़े ही नकलची और नौटंकीबाज होते
बच्चे मन के सच्चे होते बच्चे मन के सच्चे होते.!!
            ~~~~> मनीष कुमार गौतम "मनु"

~*~शुभ संध्या ~*~ मित्रों~*~

आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो.....!!!

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