मंगलवार, 5 मई 2015

हे.....! मनमोहन .. ..,


पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
तोसे लागी   लगन मन कहीं हो न मगन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
कभी फोड़ी मटकी कभी करो  ठिठौली
अब बस भी करो  हे मेरे प्यारे मनमोहन
ये मुझे रास न आये  तेरा तुपके से मिलन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
हे कृष्ण तोसे मिलन की मेरी   मृगतृष्णा
कब   होगी  दुर बतओ मेरे मन की तृष्णा
हे कृष्ण मेरे मन की मिटा दो सारी तृष्णा
मेरे प्यारे मोहन और न सताओ मनमोहन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन .
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ* संथ्या मित्रों_

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें