गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

प्यार..... ! इस युग का दुर्भाग्य.....?


प्यार - प्यार - प्यार  आखिर प्यार है क्या.?

जी  |  प्यार किसी रिश्ते जैसे -
माता- पिता/भाई-बहन /पति- पत्नी/ सभी प्रकार के नातेदार/रिश्तेदार /और इस कलयुग का सबसे प्रमुख रिश्ता "प्रेमी  जोड़ों" के बिच  "प्रेम |"

इन सभी रिश्तों के लिए  | दिल/दिमाग में पैदा होने वाली ,"चाहत" की वह कशिश या अधिरता या व्याकुलता या खलबली मचा देनें वाली एक "संवेदना या भावना हैं |" जिसे हम प्यार कहतें है 

"संवेदना या भावना" को रिश्तों के बिच में रिश्तों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार  से  हम व्यक्त करतें हैं ..

जैसे -चरण स्पर्श कर  /सर झुकाकर /सम्मान पूर्वक बोल कर  /हँस कर  / मंदममद मुस्कुराकर / स्पर्श कर/सिनें से लगाकर / गले से लगा कर / बाँहों में भर कर /  लिपटकर /  लिपटाकर /आँखों में आँखे डालकर / सहला कर / पुचकार कर/ चूमकर / सजसँवरकर /  व्यवहार कर / नाच कर / गा कर / ललचाकर / ईतराकर. /मटककर /खुशी और गम के आँसू टपका कर/राम-रामई ले  कर / नमन  कर/ शुक्रिया अदा कर / मिठी-मिठी बातें कर  आदि आदि ||

इन सभी प्यार के प्रकारों में --
चूमना/ पुचकारना /सहलाना/ मिठी- मिठी बातें करना / लिपटना/ लिपटाना/ ईतराना/मटकना/
सजना/सँवरना / बाँहों में भरना /बाँहों में समा जाना/ गले लगना/ गले लगाना/आंहें भरना आदि आदि !!  ऐसा प्यार.. आज  प्रेमि- जोड़ों  के बिच  थिरकता है मचलता है  !

मगर अफसोस .... बाकी रिश्तों के बिच आज दिखावे /और  बनावटी रूपि प्यार ने रिश्तों नातों के  बिच दरार और दुरीयाँ  बड़ा दी हैं ! जो इस कलयुग का एक दुर्भाग्य है.क्या मैने सच कहा .?
 आलेख  ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ*°* संध्या मित्रों....

आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...!!

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