शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

"बाला"

सुन्दर सुजल सरल नयन,
बचपन की अटखेलियां
मन को करे  मगन
बढ़ता बचपन जवानी को
बाला से बन जाती नारीयां
नारायणी रुपेण नारी
माँ-बहन-पत्नी  बनती नारीयां
रिश्तों की "सेतु" और धूरी
अब भ्रूण हत्या पर वारीयां
सृष्ठी बचेगी अब कब तक
जब होगीं ही नहीं नारीयां.....!!!!

भ्रूण हत्या बंद करो \\!//नारी का सम्मान करो
.               ~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

सुप्रभात मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....!!!

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