शोभा की 'सभा' है या,
सभा मे है 'शोभा'....!!
सुरज की आभा में शोभा ,
सुबह की पुरवाई में शोभा..!!
बगियन की हर कलीयन में शोभा,
झर-झर झरते झरने में शोभा ....!!
प्रकृति के हर रंग मे है शोभा.,
शोभा से दृष्टीगत हो जाता जब मन ,..!!
बड़ जाती है मन की शोभा ,
शोभा बिना सब लगे अ-शोभा ....!!
. ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
मित्रो हो गई है सुबह,
आ गई है चाय..! आप सभी को ,
Gööd Mörning, निंदिया को by by..!
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