बुधवार, 1 अप्रैल 2015

अब कुत्तों की क्या-आन*बान*शान* है ****?

गौ माता के दिन दु:ख भरे है , अब. कुत्तों दिन फिरे है ..
जो मिलजाय खा लेती है चारा  , पर कुत्ते की तो  है  अब पौबारा दुध-मलाई-हड्डी चबाते मंहगी मंहगी बिस्किट्स उड़ाते. बब्बा संग सैर , सुबह-शाम रोज करनें जाते,लौट के घर मेंडम के कमरे की शान  बड़ाते ........!!

गाय हमारी गौ माता  है, पर कहनें भर का ही नाता है , बस  अब  काम निकालना  ही आता है दुध देती तो थोड़ी  सी पुचकार  वर्ना लगती रहती है  फटकार ,कोई पुछ-परख नहीं कोई आवभगत नहीं  ! गौ माता चरनें जाय न जाय इधर-उधर पड़ी रहे सड़कों मर लावारीस खड़ी रहे .... .!!

कुत्तों की  अब क्या  ठाट है हर कमरे डनलप की खाट है ! गाय के गले  रस्सी न पट्टा कुत्ते  के गले अब दिखता  रंगबिरंगी दुपट्टा और पट्टा.. गाय पालना अब नहीं भाता पर अब  कुत्ता पालना  लोगों  की शान बड़ाता ! गौ माता पानी पिने को तरसे, पर कुत्ता नहलानें  बल्टी से-ड्रमों से -सावर से  पानी जमकर बरसे . .....!!

मुर्खों को अब कौन समझाय , गाय बिना दुनिया खड़ी रह जाय, खुद के स्तन सूखे पड़े है   पर गौ माता है तो बिन माँ बच्चे   जिन्दा  खड़े   हैं  !   बिना दुध के मिष्ठान अधुरे  सब नर- मादा  अधुरे नर - नारायण  अधुरे  अब गौ माता का दुनिया कर ले मान- सम्मान , गौ माता से ही है  हमारी आन.........बान,.......और......शान......!!!

                    ~~~~~~~> मनीष गौतम " मनु"
शुभ संध्या मित्रों ~

आनें वाला " पल" और " कल" मंगलमय हो .......

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