गौ माता के दिन दु:ख भरे है , अब. कुत्तों दिन फिरे है ..
जो मिलजाय खा लेती है चारा , पर कुत्ते की तो है अब पौबारा दुध-मलाई-हड्डी चबाते मंहगी मंहगी बिस्किट्स उड़ाते. बब्बा संग सैर , सुबह-शाम रोज करनें जाते,लौट के घर मेंडम के कमरे की शान बड़ाते ........!!
गाय हमारी गौ माता है, पर कहनें भर का ही नाता है , बस अब काम निकालना ही आता है दुध देती तो थोड़ी सी पुचकार वर्ना लगती रहती है फटकार ,कोई पुछ-परख नहीं कोई आवभगत नहीं ! गौ माता चरनें जाय न जाय इधर-उधर पड़ी रहे सड़कों मर लावारीस खड़ी रहे .... .!!
कुत्तों की अब क्या ठाट है हर कमरे डनलप की खाट है ! गाय के गले रस्सी न पट्टा कुत्ते के गले अब दिखता रंगबिरंगी दुपट्टा और पट्टा.. गाय पालना अब नहीं भाता पर अब कुत्ता पालना लोगों की शान बड़ाता ! गौ माता पानी पिने को तरसे, पर कुत्ता नहलानें बल्टी से-ड्रमों से -सावर से पानी जमकर बरसे . .....!!
मुर्खों को अब कौन समझाय , गाय बिना दुनिया खड़ी रह जाय, खुद के स्तन सूखे पड़े है पर गौ माता है तो बिन माँ बच्चे जिन्दा खड़े हैं ! बिना दुध के मिष्ठान अधुरे सब नर- मादा अधुरे नर - नारायण अधुरे अब गौ माता का दुनिया कर ले मान- सम्मान , गौ माता से ही है हमारी आन.........बान,.......और......शान......!!!
~~~~~~~> मनीष गौतम " मनु"
शुभ संध्या मित्रों ~
आनें वाला " पल" और " कल" मंगलमय हो .......
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