मंगलवार, 24 जून 2014

~*~ मेरी प्राण ~*~

तुम मेरी ~

"प्रिया" हो या "प्रिती" हो ...
"प्रेरणा" हो या "प्रेरक" हो...

"प्रदर्शनी" हो या "प्रियदर्शनीय" हो.

"प्रदीपन" हो या "प्रदीप्ति" हो...

"प्रतिद्वन्दी" हो या "प्रतिरक्षा" हो..

"प्रशंसा" हो या "प्रेरणा" हो...

"प्रदर्शन" हो या "प्रदर्शक "   हो ..

"प्रश्नोत्तरी" हो या प्रश्नमाला " हो..

"प्रयोजन" हो या "प्रलयंकर" हो...
"प्रतिज्ञा हो या "प्रवेक्षा" हो...

"प्रमुख" हो या "प्रतिलिपि" हो...
"प्रतिक्षा हो या "प्रत्यक्ष" हो...

"प्रलोभन" हो या "प्रगति" हो...
या कई-कई प्रसंगों की प्रकार हो |

अब तुम मुझे

जो चाहो तुम ही समझो / पर मैं तुम्हें जो

चाहूँ तुम भी समझो -

मेरे "प्रेम" का "प्रसिद्ध-प्रमाण" हो 
तुम मेरे "प्रमोद" की  "प्रसाद" हो,

आन-बान-शान की प्रतिष्ठा हो तुम-
मेरी "प्राणाधार-प्राण-प्यारी "

मेरी  "प्राण" हो ...मेरी "प्राण" हो ...
मेरी  "प्राण" हो...मेरी "प्राण" हो...

पैदा होने से पहले बेटीयाँ मारते जाओगे.?
बेटा जवाँ होगा तब बहु कहाँ से लाओगे..?
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~~~~~~> मनीष  गौतम "मनु"
मंगल / दि-24/06/2014

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