सोमवार, 1 मई 2017

महक

ये फूलों की खूबसूरती,
        मदमस्त  महक  ताजा ॥

मन  को  मिली  ऊर्जा 
        मै हो  गया  तरोताजा ॥

हूँ  एक देहाड़ी  मजदूर
      अब आज काम करूँगा ॥

और जादा और जादा ......
~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

मंगलमयी दिवस की शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात द

नीव का पत्थर "मजदूर"

मेहनतकश    मजदूर   हूँ   मैं
मै मग़रूर नहीं मजबूर नहीं ।
जीवन मेरा है  सिधा-साधा
शान ए शौकत की फुरसत नहीं
आदत मेरी बस मेहनत करना 
धूप-छाँव की  परवाह ही नहीं
कभी दबता कभी दबाया गया
पर दम अबतक निकला ही नहीं
तराशे सैकड़ों पत्थरों  को मैने पर
निजी जीवन कोई सुन्दरता नहीं
दुनिया में  है कई जातियाँ धर्म पर
मेरा तो बस कर्म ही है जाति धर्म नहीं
सदियों से  रहा हूँ मै नीवं का पत्थर
मै हूँ कर्मकार प्रर्दशन मेरा कर्म नहीं
--------> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 01/05/2017

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

शेर दिल मोदी ~

मै  निकल  पड़ा  हूँ  उस  पथ  पर ,
जिस  पथ  शोले  उगलते  अँगारे है ॥

पर लिए हौसला बुलंदियाँ छुने  का,
अब मुझे बढ़ते रहना है हर हालो मे ॥

भूख-गरीबी  दरिद्रता  से  पेंच  लड़ा,
अब लड़ने चला हूँ उन्ही गलियारो मे ॥

पद  लोलुप्ता  का  मोह  नहीं  मन  मे,
नेकी करने चला हूँ  हर  घर-द्वारे मे ॥

गरीब किसान का भविष्य हो उज्जवल,
भारत को मंडने चला खेत-खलिहानों में ॥

दिखे  शेर  सा  और  सुन्दर हो  मोर सा,
भारत विकसित  हो चला   हर भागों में  ॥

दुश्मन गर अब आँखें मिला कर  के देखे,
दम रखता अपने छत्तीस इंच के सीने में ॥
!!!! जय हिन्द*!!!! वन्दे मातरम् *!!!!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
दिनांक ०१/१०/२०१६

सोमवार, 26 सितंबर 2016

मच्छर चालीसा

जय  मच्छर बलवान  उजागर ।
जय  अगणित रोगों   के सागर॥

नगर  दूत अतुलित  बल धामा ।
तुमको  जीत  ना   पाये  रामा ॥

गुप्त  रूप  घर  तुम  आ  जाते ।
भीम  रूप  धर  तुम खा  जाते ॥

मधुर-मधुर  खुजलाहट   लाते ।
सबकी    देह  लाल  कर  जात ॥

वैध - हकीम  के  तुम  रखवारे ।
घर-घर  में  वो तुम  रहने वाले ॥

मलेरिया  के   तुम   हो   दाता  ।
तुम खटमल के  हो छोटेभ्राता ॥

नाम   तुम्हारे  सब  बाजे डंका ।
तुमको कहीं न काल की  शंका ॥

मंदिर-मस्जिद और  गुरुद्वारा ।
घर-घर में हो  परचम  तुम्हारा ॥

सब जगह  तुम  अनादर   पाते ।
बिना  इजाजत  के  घुस  जाते ॥

कोई   जगह   ऐसी  न   छोड़ी ।
जहां रिश्तेदारी तुमने न जोड़ी ॥

जग,जनता तुम्हें खूब  पहिचाने ।
नगर  पालिका भी  लोहा माने ॥

डरकर  तुमको यह  वर  दीना ।
जब  तक चाहो सो तुम जीना ॥

भेद-भाव  तुमको  नहीं   आवे ।
प्रेम  तुम्हारा  सब कोई  पावे ॥

रूप-कुरूप  न तुमको जाना ।
छोटा - बड़ा न  तुमने  माना ॥

सावन  पड़न  न  सोवन देते  ।
तुम दुख देते सबसुख हर लेते ॥

भिंनभिंन जब तुम राग सुनाते ।
ढ़ोलक  पेटी तक शर्मा जाते  ॥

बाद  में  रोग  मिले बहु  पीड़ा ।
जगत   निरंतर मच्छर कीड़ा ॥

जो    मच्छर  चालीसा  गावे  ।
सब  दुख  मिले रोग सब पाये ॥
       ~~~~~>संकलित

रविवार, 25 सितंबर 2016

आजाद जीवन की मुस्कान

ये   मुस्कुराती  जिन्दगी  ।
और  चाहते    बेपनाह  है ॥

दिल      ज़िन्दादिल      है ।
दर्द के लिए समय कहाँ है ॥

जिन्दगी  यूँ ही गुजर जाती ।
धरती मेराघर छत आसमांहै॥

अब   कल की  किसे खबर ।
जीना कहाँ  मरना  कहाँ  हैं ॥

~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो....

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

हमें अच्छे काम करते रहना चाहिए ।चाहे लोग तारीफ करें या न करें ।आधी से ज्यादा दुनियाँ सोती रहती है ।फिर भी सूरज उगता है । मुस्कुराते रहिए ॥
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ।

शनिवार, 17 सितंबर 2016

दूरदर्शिता और नि:स्वार्थ कुशल नेतृत्व । के सामने कोई टिक नहीं सकता । बस सफलताएँ कदम चूमती हैं ।
~~~~मनीष गौतम 'मनु'
शुभ संध्या मित्रों
आने वाला पल और कल मंगलमयी हो...